ME

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Sunday, March 20, 2011

बढ़ गयी शोहरत मेरी, रुसवाइयों के साथ |
कद नहीं बढ़ता कभी, परछाईयों के साथ ||

लोग सुनते हैं मगर दिखता नहीं सबको |
अश्क़ शामिल हैं मेरे शहनाइयों के साथ ||

ये नहीं उजड़ी फ़कत मैं भी तो उजड़ा हूँ |
एक रिश्ता है मेरा अमराइयों के साथ ||

महफ़िलों में आपको ज़िल्लत उठानी है |
तो जी लूँगा मेरी तनहाइयों के साथ...||

Saturday, March 5, 2011

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचेनी को बस बादल समझता है.
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
यह तेरा दील समझता है या मेरा दील समझता है.

मोहब्बत एक एहससों की पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है.
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आँखों में आनसूँ हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है.

समंदर पीर का अंदर है लेकीन रो नहीं सकता,
यह आनसूँ प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता.
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता.

भ्रमर कोई कुमुदिनी पर मचल बैठा तो हंगंगामा,
हुमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगंगामा.
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किससे को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हंगंगामा

बहोट टूटा बहोट बिखरा थपेड़े सेह नही पाया,
ह्वाओ के ईसरो पर मगर मे बह नही पाया.
अधूरा अनसुना ही रह गया ये प्यार का कीस्सा,
कभी मे कह नही पाया कभी तुम सुन नही पाई।