बढ़ गयी शोहरत मेरी, रुसवाइयों के साथ |
कद नहीं बढ़ता कभी, परछाईयों के साथ ||
लोग सुनते हैं मगर दिखता नहीं सबको |
अश्क़ शामिल हैं मेरे शहनाइयों के साथ ||
ये नहीं उजड़ी फ़कत मैं भी तो उजड़ा हूँ |
एक रिश्ता है मेरा अमराइयों के साथ ||
महफ़िलों में आपको ज़िल्लत उठानी है |
तो जी लूँगा मेरी तनहाइयों के साथ...||
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